26 जनवरी भारत का गणतंत्र दिवस है. सन 1950 में इसी दिन देश के संविधान को लागू किया गया था. तब से आज तक इस दिन को देश गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाता है.
211 विद्वानों द्वारा 2 महिने और 11 दिन में तैयार भारत के संविधान को लागू किए जाने से पहले भी 26 जनवरी का बहुत महत्व था. 26 जनवरी एक विशेष दिन के रूप में चिह्नित किया गया था.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था परंतु साथ साथ ही एक और महत्वपूर्ण फैसला इस अधिवेशन के दौरान लिया गया. इस दिन सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया था कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन सभी स्वतंत्रता सैनानी पूर्ण स्वराज का प्रचार करेंगे. इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया था.
15 अगस्त 1947 में अंग्रेजों ने भारत की सत्ता की बागडोर जवाहरलाल नेहरू के हाथों में दे दी, लेकिन भारत का ब्रिटेन के साथ नाता या अंग्रेजों का आधिपत्य समाप्त नहीं हुआ. भारत अभी भी एक ब्रिटिश कॉलोनी की तरह था, जहाँ कि मुद्रा पर जार्ज छः की तस्वीरें थी.
आज़ादी मिलने के बाद तत्कालीन सरकार ने देश के संविधान को फिर से परिभाषित करने की जरूरत महसूस की और संविधान सभा का गठन किया जिसकी अध्यक्षता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को मिली.
25 नवम्बर 1949 को देश के संविधान को मंजूरी मिली. 24 जनवरी 1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर किए. और इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने.
इस तरह से 26 जनवरी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया. यह एक सयोंग ही था कि कभी भारत का पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाने वाला दिन अब भारत का गणतंत्र दिवस बन गया था. देश के संविधान को लागू किया गया. भारत प्रजातंत्र बना. देश पर लोगों का राज हुआ. आम जनता अब शासक थी जो अपने प्रतिनिधि को संसद तक भेजती थी और वे प्रतिनिधि देश का राजकाज चलाते थे. अंग्रेजो की गुलामी समाप्त हुई. उस समय जो देश की स्थिति थी उससे कई गुना अच्छी स्थिति आज है. भारत ने प्रगति की है, भले ही रफ्तार कम रही हो.
1950 में भारत में साक्षरता की दर मात्र 18% थी. यानी कि हर 100 में से 18 लोग ही पढना लिखना जानते थे. आज भारत की साक्षरता दर 68% है. इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं और जीवन की गुणवत्ता में भी काफी बदलाव आया है. 1950 में औसत आयु 32 वर्ष की हुआ करती थी जो अब बढकर 68 वर्ष से ज्यादा हो गई है.
1950 में हर 1000 में से 137 नवजात शिशुओं की जन्म प्रक्रिया के दौरान या उसके कुछ दिनों बाद मृत्यु हो जाती थी, अब यह दर घटकर प्रति 1000 में से 53 रह गई है. 1950 में से प्रति 1 लाख लोगों के बीच 16 चिकित्सक होते थे आज यह दर बढकर 60 हो गई है.
देश की समृद्धि में भी बढोत्तरी हुई है और लोगों का जीवन स्तर ऊँचा हुआ है. 1950 में देश की पर कैपिटल आय 255 करोड़ थी, आज यह 37490 करोड़ है. इसके अलावा कृषि क्षैत्र में भी काफी प्रगति हुई है. भोजन के लिए काफी महत्वपूर्ण गेहूँ की पैदावार 1950 में 65 लाख टन थी जो अब बढकर 10 करोड़ 86 लाख टन हो गई है.
व्यापार की बात करें तो 1950 में देश का निर्यात 606 करोड़ रूपए का था जो अब बढकर 10.7 लाख करोड़ हो गया है. दूसरी तरफ आयात 608 करोड़ रूपए से बढकर 33.1 करोड़ हो गया है. इस लिहाज से देखें तो 1950 में भारत की आयात लागत निर्यात के लगभग बराबर ही थी लेकिन आज देश जितनी आमदनी निर्यात करके प्राप्त करता है उससे कहीं अधिक खर्च आयात करने में जाता है. सरकार का खर्च भी बढ गया है. 1950 में सरकार का कुल खर्च 337 करोड़ हुआ करता था और आमदनी 338 करोड़. आज सरकार का खर्च और आमदनी दोनों 10.2 लाख करोड़ के पार है.
1950 में देश का रक्षा बजट 168 करोड़ रूपए था, आज यह बढकर 1.7 लाख करोड़ रूपए हो गया है. सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 98 रूपए था जो अब बढकर 50,000 रूपए के पार होने लगा है.
1950 में देश में 19811 किलोमिटर के हाईवे थे, आज 90548 किलोमिटर के हाईवे हैं. 1950 में पूरे देश में करीब 1 लाख टेलिफोन कनेक्शन थे, आज 65 करोड़ 30 लाख टेलिफोन कनेक्शन हैं. 1950 में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 15.6 किलोवॉट थी जो अब बढकर 831 किलोवॉट हो गई है.
211 विद्वानों द्वारा 2 महिने और 11 दिन में तैयार भारत के संविधान को लागू किए जाने से पहले भी 26 जनवरी का बहुत महत्व था. 26 जनवरी एक विशेष दिन के रूप में चिह्नित किया गया था.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था परंतु साथ साथ ही एक और महत्वपूर्ण फैसला इस अधिवेशन के दौरान लिया गया. इस दिन सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया था कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन सभी स्वतंत्रता सैनानी पूर्ण स्वराज का प्रचार करेंगे. इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया था.
15 अगस्त 1947 में अंग्रेजों ने भारत की सत्ता की बागडोर जवाहरलाल नेहरू के हाथों में दे दी, लेकिन भारत का ब्रिटेन के साथ नाता या अंग्रेजों का आधिपत्य समाप्त नहीं हुआ. भारत अभी भी एक ब्रिटिश कॉलोनी की तरह था, जहाँ कि मुद्रा पर जार्ज छः की तस्वीरें थी.
आज़ादी मिलने के बाद तत्कालीन सरकार ने देश के संविधान को फिर से परिभाषित करने की जरूरत महसूस की और संविधान सभा का गठन किया जिसकी अध्यक्षता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को मिली.
25 नवम्बर 1949 को देश के संविधान को मंजूरी मिली. 24 जनवरी 1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर किए. और इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने.
इस तरह से 26 जनवरी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया. यह एक सयोंग ही था कि कभी भारत का पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाने वाला दिन अब भारत का गणतंत्र दिवस बन गया था. देश के संविधान को लागू किया गया. भारत प्रजातंत्र बना. देश पर लोगों का राज हुआ. आम जनता अब शासक थी जो अपने प्रतिनिधि को संसद तक भेजती थी और वे प्रतिनिधि देश का राजकाज चलाते थे. अंग्रेजो की गुलामी समाप्त हुई. उस समय जो देश की स्थिति थी उससे कई गुना अच्छी स्थिति आज है. भारत ने प्रगति की है, भले ही रफ्तार कम रही हो.
1950 में भारत में साक्षरता की दर मात्र 18% थी. यानी कि हर 100 में से 18 लोग ही पढना लिखना जानते थे. आज भारत की साक्षरता दर 68% है. इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं और जीवन की गुणवत्ता में भी काफी बदलाव आया है. 1950 में औसत आयु 32 वर्ष की हुआ करती थी जो अब बढकर 68 वर्ष से ज्यादा हो गई है.
1950 में हर 1000 में से 137 नवजात शिशुओं की जन्म प्रक्रिया के दौरान या उसके कुछ दिनों बाद मृत्यु हो जाती थी, अब यह दर घटकर प्रति 1000 में से 53 रह गई है. 1950 में से प्रति 1 लाख लोगों के बीच 16 चिकित्सक होते थे आज यह दर बढकर 60 हो गई है.
देश की समृद्धि में भी बढोत्तरी हुई है और लोगों का जीवन स्तर ऊँचा हुआ है. 1950 में देश की पर कैपिटल आय 255 करोड़ थी, आज यह 37490 करोड़ है. इसके अलावा कृषि क्षैत्र में भी काफी प्रगति हुई है. भोजन के लिए काफी महत्वपूर्ण गेहूँ की पैदावार 1950 में 65 लाख टन थी जो अब बढकर 10 करोड़ 86 लाख टन हो गई है.
व्यापार की बात करें तो 1950 में देश का निर्यात 606 करोड़ रूपए का था जो अब बढकर 10.7 लाख करोड़ हो गया है. दूसरी तरफ आयात 608 करोड़ रूपए से बढकर 33.1 करोड़ हो गया है. इस लिहाज से देखें तो 1950 में भारत की आयात लागत निर्यात के लगभग बराबर ही थी लेकिन आज देश जितनी आमदनी निर्यात करके प्राप्त करता है उससे कहीं अधिक खर्च आयात करने में जाता है. सरकार का खर्च भी बढ गया है. 1950 में सरकार का कुल खर्च 337 करोड़ हुआ करता था और आमदनी 338 करोड़. आज सरकार का खर्च और आमदनी दोनों 10.2 लाख करोड़ के पार है.
1950 में देश का रक्षा बजट 168 करोड़ रूपए था, आज यह बढकर 1.7 लाख करोड़ रूपए हो गया है. सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 98 रूपए था जो अब बढकर 50,000 रूपए के पार होने लगा है.
1950 में देश में 19811 किलोमिटर के हाईवे थे, आज 90548 किलोमिटर के हाईवे हैं. 1950 में पूरे देश में करीब 1 लाख टेलिफोन कनेक्शन थे, आज 65 करोड़ 30 लाख टेलिफोन कनेक्शन हैं. 1950 में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 15.6 किलोवॉट थी जो अब बढकर 831 किलोवॉट हो गई है.
लेकिन सही मायने में गणतंत्र अब भी सच्चाइयों से कोसों दूर हैं, आज भी कुछ विश्वविद्यालय परीक्षाओं के परिणाम सही समय पर निकाल पाने में असमर्थ हैं , विद्यार्थियों का चार से पाँच महीने का समय व्यर्थ नष्ट हो
रहा है, कौन करेगा इसकी भरपाई ,यह कैसा व्यावहार कर रहे हैं हम अपने ही देश के नौजवानों के साथ .......यह तो बस एक उदाहरण है। सही मायने में संविधान प्रदत्त अधिकार कब सबको प्राप्त होंगे..............
रहा है, कौन करेगा इसकी भरपाई ,यह कैसा व्यावहार कर रहे हैं हम अपने ही देश के नौजवानों के साथ .......यह तो बस एक उदाहरण है। सही मायने में संविधान प्रदत्त अधिकार कब सबको प्राप्त होंगे..............