इंडियन डिपॉजटरी रिसीट क्या है?
आईडीआर एक रिसीट है, जिसमें किसी विदेशी कंपनियों के शेयर के मालिकाना का जिक्र होता है। यह रिसीट भारत में सूचीबद्ध हो सकती हैं और रुपये में इनका लेनदेन हो सकता है। जिस तरह विदेशी निवेश अमेरिका में सूचीबद्ध अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट के जरिये इन्फोसिस (भारतीय कंपनी) में निवेश कर सकता है उसी तरह आईडीआर के जरिये विदेशी कंपनियों में निवेश हो सकता है।
आईडीआर एक प्रमाण है,जो यह साबित करता है कि विदेशी कंपनियों के शेयरों का कितना मालिकाना हिस्सा आपके पास है। आईडीआर भारतीय मुद्रा में होते हैं और इसके तहत शेयरों को किसी कस्टोडियन के तहत रखा जाता है एक भारतीय निवेशक आईडीआर के लिए भारतीय मुद्रा में कीमत अदा करता है। जबकि शेयर होल्डर को इश्यू करने वाले देश की मुद्रा में ही कीमत अदा करना पड़ता है।
शेयरों की सिक्यूरिटी क्या होती है?
आईडीआर में निहित शेयर विदेशी कस्टोडियन के यहां जमा रहते हैं। ये कस्टोडियन घरेलू डिपोजटरी की तरफ से इन शेयरों को अपने पास रखते हैं। यह घरेलू डिपोजटरी भारत में निवेशक को इसकी रिसीट जारी करते हैं। निवेशक की इंट्री उसके डीमैट अकाउंट में हो जाती है और इससे उसकी आईडीआर होल्डिंग का पता चलता है।
आईडीआर कैसे इश्यू किए जाते हैं?
जिस तरह घरेलू शेयर जारी किए जाते हैं उसी तरह आईडीआर भी घरेलू निवासियों को जारी किए जाते हैं। इश्यू करने वाली कंपनी भारत में पब्लिक ऑफर जारी करती है और लोग उसी तरह की बिडिंग करते हैं जैसे शेयरों के लिए की जाती है। आईडीआर इश्यू के लिए संस्थागत निवेशक मसलन एफआईआई बिडिंग कर सकते हैं।
हालांकि इंश्योरेंस कंपनियां और वेंचर कैपिटल फंड इसमें हिस्सा नहीं ले सकते हैं। एनआरआई इश्यू में भागीदारी कर सकते हैं। वाणिज्यिक बैंक इसमें भागीदारी कर सकते हैं लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक की अनुमति लेनी पड़ती है। व्यक्ति के तौर पर भारतीय निवेशकों पर विदेशी कंपनियों के शेयर रखने पर प्रतिबंध है।
लेकिन आईडीआर के जरिये वह सूचीबद्ध विदेशी कंपनियों में निवेश कर सकता है। कोई भी नागरिक दो लाख डॉलर से अधिक के विदेशी सिक्यूरिटीज नहीं रख सकता। इसमें शेयर भी शामिल हैं। हालांकि आईडीआर के मामले में यह नियम लागू नहीं होता है। भारत के बाहर डी-मैट अकाउंट, विदेशी ब्रोकर में केवाईसी और फंड के लिए विदेशी बैंक में खाते जैसे नियम विदेशी व्यक्तिगत निवेशकों के लिए अड़चनें खड़ी करते हैं। जबकि आईडीआर होल्डर की राह में इस तरह की अड़चनें नहीं आती हैं।
भारतीय निवेशकों के अधिकार?
भारतीय निवेशकों को भी शेयर होल्डर जैसा ही अधिकार प्राप्त होता है। वे ईजीएम के प्रस्तावों पर मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन यह सिर्फ विदेशी कस्टोडियन के जरिये ही हो सकता है। लाभांश, राइट्स, स्पिल्ट्स और बोनस जैसे सभी लाभ आईडीआर होल्डर को मिलता है। लेकिन यह उसी सीमा तक होता है जिस सीमा तक भारतीय कानून इजाजत देते हैं।
आईडीआर एक रिसीट है, जिसमें किसी विदेशी कंपनियों के शेयर के मालिकाना का जिक्र होता है। यह रिसीट भारत में सूचीबद्ध हो सकती हैं और रुपये में इनका लेनदेन हो सकता है। जिस तरह विदेशी निवेश अमेरिका में सूचीबद्ध अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट के जरिये इन्फोसिस (भारतीय कंपनी) में निवेश कर सकता है उसी तरह आईडीआर के जरिये विदेशी कंपनियों में निवेश हो सकता है।
आईडीआर एक प्रमाण है,जो यह साबित करता है कि विदेशी कंपनियों के शेयरों का कितना मालिकाना हिस्सा आपके पास है। आईडीआर भारतीय मुद्रा में होते हैं और इसके तहत शेयरों को किसी कस्टोडियन के तहत रखा जाता है एक भारतीय निवेशक आईडीआर के लिए भारतीय मुद्रा में कीमत अदा करता है। जबकि शेयर होल्डर को इश्यू करने वाले देश की मुद्रा में ही कीमत अदा करना पड़ता है।
शेयरों की सिक्यूरिटी क्या होती है?
आईडीआर में निहित शेयर विदेशी कस्टोडियन के यहां जमा रहते हैं। ये कस्टोडियन घरेलू डिपोजटरी की तरफ से इन शेयरों को अपने पास रखते हैं। यह घरेलू डिपोजटरी भारत में निवेशक को इसकी रिसीट जारी करते हैं। निवेशक की इंट्री उसके डीमैट अकाउंट में हो जाती है और इससे उसकी आईडीआर होल्डिंग का पता चलता है।
आईडीआर कैसे इश्यू किए जाते हैं?
जिस तरह घरेलू शेयर जारी किए जाते हैं उसी तरह आईडीआर भी घरेलू निवासियों को जारी किए जाते हैं। इश्यू करने वाली कंपनी भारत में पब्लिक ऑफर जारी करती है और लोग उसी तरह की बिडिंग करते हैं जैसे शेयरों के लिए की जाती है। आईडीआर इश्यू के लिए संस्थागत निवेशक मसलन एफआईआई बिडिंग कर सकते हैं।
हालांकि इंश्योरेंस कंपनियां और वेंचर कैपिटल फंड इसमें हिस्सा नहीं ले सकते हैं। एनआरआई इश्यू में भागीदारी कर सकते हैं। वाणिज्यिक बैंक इसमें भागीदारी कर सकते हैं लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक की अनुमति लेनी पड़ती है। व्यक्ति के तौर पर भारतीय निवेशकों पर विदेशी कंपनियों के शेयर रखने पर प्रतिबंध है।
लेकिन आईडीआर के जरिये वह सूचीबद्ध विदेशी कंपनियों में निवेश कर सकता है। कोई भी नागरिक दो लाख डॉलर से अधिक के विदेशी सिक्यूरिटीज नहीं रख सकता। इसमें शेयर भी शामिल हैं। हालांकि आईडीआर के मामले में यह नियम लागू नहीं होता है। भारत के बाहर डी-मैट अकाउंट, विदेशी ब्रोकर में केवाईसी और फंड के लिए विदेशी बैंक में खाते जैसे नियम विदेशी व्यक्तिगत निवेशकों के लिए अड़चनें खड़ी करते हैं। जबकि आईडीआर होल्डर की राह में इस तरह की अड़चनें नहीं आती हैं।
भारतीय निवेशकों के अधिकार?
भारतीय निवेशकों को भी शेयर होल्डर जैसा ही अधिकार प्राप्त होता है। वे ईजीएम के प्रस्तावों पर मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन यह सिर्फ विदेशी कस्टोडियन के जरिये ही हो सकता है। लाभांश, राइट्स, स्पिल्ट्स और बोनस जैसे सभी लाभ आईडीआर होल्डर को मिलता है। लेकिन यह उसी सीमा तक होता है जिस सीमा तक भारतीय कानून इजाजत देते हैं।